माया महा ठगनि हम जानी
दुनिया ये मनमानी।
जब बेटी की उठी थी डोली
माँ रोते बापू से बोली,
क्यों बहे तुम्हारीआंखों से,
इतना झर झर पानी
अब तो चित भी उसकी
पट भी उसकी।
जैसे , घर की मैं पटरानी,
बिटिया भी होगी
उस घर की महारानी।
सुन कर
बातें बिटिया की माँ की,
बापू को हुई हैरानी ।
थोड़ा सा फिर वो मुस्काए…
देखा 🙄
बिटिया की माँ को …
बोले ,
” . ये माँ महा ठगनि हम जानी।”😀✍️
नोट-चित-पट (माइका-ससुराल)