मन के मंदिर में थोड़ा टहल,मन के बाहर तो भव्य महल। मन- मंदिर में दीपक सा है तू ,भव्य महल तो चहल पहल। हनुमान के सीने में , राम सिया, क्यों इत उत डोले पागल-पिया । थोड़ा तू ठहर जीवन की पहर सन्ध्या में बदलने वाली है…….। फिर राम अली दिखते संग संग, रमजान हो या ,दीपावली है ।मत बांट मनुज धर्मो में तू इतिहास करेगा थू थू थू । ये भारत पाक (पाकिस्तान) नहीं । क्यों रखता दिल को साफ नहीं ।योगी है तू मत बन भोगी ,बदले की कभी कहता जोगी ? भारत की शाख समझ भाई, माँ के अपने चार सिपाही, हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई।
👉थोड़ा तू ठहर जीवन की पहर,सन्ध्या में बदलने वाली है। फिर राम अली दिखते संग संग,रमजान हो या दिवाली हो।🛐🕉️
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U r emotional and expressive
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