आज अपने ही शहर में मारकाट से आत्मा दुखी हुई। कितनों के हाथ पैर काट दिए गए ।बसी बसाई गृहस्थी कुछ ही क्षणों में आग लगा कर उजाड़ दी गई । कुछ खुश थे कुछ दुखी। उनकी खुशी और दुख बिल्कुल एक समान थे ।इस समानता के भाव में धर्म दूर दूर तक नही दिखा। दोनो के दर्द की आवाज का धर्म एक ही था ।लगता उनके डर ,दर्द, चिंता सब एक ही धर्म के हैं। यू ट्यूब में आकाशगंगा देखी थी ।तब स्वतः ब्रह्मांड से ब्रह्मा शब्द की याद आई । इसकी व्याख्या करते करते शायद अहम ब्रह्मा अस्मि से कुछ बुद्धिजीवी अपने को ब्राह्मण कहने लगे होंगे और फिर तुलनात्मक वर्गीकरण हुआ होगा। क्षत्रिय वैश्य क्षुद्र भी वर्गीकृत हुए । फिर कुछ ने अपने को धर्मों में बांटा होगा।तौर तरीके बदले । उस “शक्तिमान” की जगह अपनी अपनी बुद्धि अनुसार अलग अलग नाम और रूप दे दिए होंगे उस super natural power को । आज फिर एक अपने को बुद्धिजीवी मान कर कमजोरों को लड़वा रहा है।अपनी ऐशो आराम की लालसा में कमजोर बुद्धि वालों को भिड़ा रहा है। उसकी शातिर चाल से कुछ कमजोर मूर्ख अपने को पहलवान हिन्दू या पहलवान मुसलमान समझ गरीबों को मार रहें हैं।इन गरीबों का एक ही धर्म दिखाई देता है,और वो है गरीबी । इनकी विवशता और रोने का भाव बिल्कुल एक है। मैं फिर You tube से ब्रह्मांड देखने लगी । इस super पावर के सामने कुछ ने “जय श्री राम” और “अल्लाह” को शब्दों में सिमट कर छोटा कर दिया हैं और आपस में लोगों के बीच इतनी दूरी कर दी ।दुनिया के किसी भी कोने का मनुष्य हो उसके हंसने रोने सुख दर्द की भाषा तो बिल्कुल एक है ।लेकिन कमजोर बुद्धि के लोग कहां समझते हैं। वो आदमी के बनाए शब्द में उस सर्वशक्तिमान को भूल कर “जयश्रीराम” और “अल्लाह” चिल्लाकर विध्वंश कर रहे हैं।शातिर बहुत खुश है इन कमजोर बुद्धि के लोगों को देख कर क्यों कि शातिर का ऐशोआराम भविष्य जो सुरक्षित ही गया है इनके वोटों से।✍️