सच मानो माँ के जाने पर…..
माँ ही हरदम आती है ।
आंसू निकले जब आंखों से…..
वो रुमाल बन जाती है।
कभी वो आई “ईजा” बन कर ….
कभी ध्वनि बन, “ओ मेरी माँ ” ।
सभी छूटते धीरे धीरे ….
छूट ना पाये मेरी माँ । ✍️
सच मानो माँ के जाने पर…..
माँ ही हरदम आती है ।
आंसू निकले जब आंखों से…..
वो रुमाल बन जाती है।
कभी वो आई “ईजा” बन कर ….
कभी ध्वनि बन, “ओ मेरी माँ ” ।
सभी छूटते धीरे धीरे ….
छूट ना पाये मेरी माँ । ✍️
माँ का साथ जन्म से मरण तक है ।सुन्दर प्रस्तुति है ।दिल को छू गयी ।
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