
उस दिन वो शिक्षिका बच्चे का हाथ पकड़ क्रोधित हो बोली मैडम इसे अपने रूम में बिठा लीजिए । ये बहुत misbehave करता है । क्लास में आते ही ये हंसता है । मुझे देखते ही बच्चा sorry बोला। कई बार उस शिक्षिका द्वारा उस बच्चे के लिए ढीठ शब्द का उपयोग किया जाने लगा था ।
उस दिन तो मैं भी अकेले में रोई थी वो शिक्षिका कुछ दिनों बाद उस बच्चे को फिर ले आई थी। वो बच्चा बहुत डरा हुआ था । आंखों में आंसू और सिसकियां लिए। इस बार शिक्षिका से क्लास रूम वापस जाने को कहा और बच्चे को अपने पास बिठाया था मैंने । पूछा था बच्चे से,आज क्या किया बेटा, वो बोला वो मैडम बहुत अच्छी लगती हैं जब प्यार से बोलती हैं।आज मैंने उनकी साड़ी छुई थी ,मम्मी से भी अच्छी लग रहीं थीं।
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जीशान नाम के उस बच्चे को नहीं भूल पाती जिसके नए एडमिशन ने क्लास में तहलका मचा दिया था । वो LKG में नया नया आया था । “शिक्षक” के ओहदे से अपरिचित वो बच्चा किसी की भी बात नही सुनता और अपनी मनमानी करता । अक्सर उसकी क्लास शिक्षिका उसे दूसरे सेक्शन में बिठा देतीं थीं । जो मेरे कक्ष के ठीक सामने था। एक दिन बहुत गुस्से में मुझसे आकर बोला था,” आप हरदम यहीं बैठे फ़ोन करते रहते हो बच्चों को क्यों नही पढ़ाते सारी मैडम पढ़ाती हैं आप इधर उधर घूम कर आ जाते हो । मैंने sorry बोला था उसे। उसने गुस्से में hold your ears कहा तब मैंने कान भी पकड़े थे अपने । वो रॉब से it’s O.K. कह कर अपनी कमर में हाथ रख क्लास में लौट गया था । अगले दिन उसकी क्लास में after attendance 1st period में “May I come in” ? पूछ कर गई थी बच्चों से ।। दोस्ती की थी उन बच्चों से । जीशान बोला था आप अपनी चेयर हमारे क्लास में रख लीजिए।
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उज्ज्वल तब LKG में था। alphabet का dictation दिया गया था । ‘A’ , ‘C’, ‘E’,’G’ , ‘M’ सभी letters सही लिखे थे लेकिन जहां आई ‘I’ बोला गया था वहां eye draw कर दी थी उस बच्चे ने ।
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बात पुरानी हो गई वो बच्चा आज multinational company में उच्च पद पर है। उस दिन घर में स्कूल से उसका test paper आया था । Alphabet लिखने थे उसे । उस बच्चे ने अपने पेपर में उल्टी सीधी जगह बिना क्रम के लिखा था। टीचर ने उसे marks न देकर बड़ा सा question mark रख दिया था । उस sincere बच्चे की लापरवाही पर आश्चर्य प्रकट किया था। उस से प्यार से पूछने पर ज्ञात हुआ कि उसने A to Z पूरा लिखा था लेकिन टीचर ने क्लास में सबसे बोला था ,” ये टेस्ट है सबको बिना देखे लिखना है। मैंने आंखें बंद करके लिखा था। बिल्कुल नहीं देखा था।”
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बच्चो के क्रिया कलाप ईश्वर के रूप में होते हैं ।उनमें धर्म या जाती का कोई स्थान नहीं ।पढ़ कर अच्छा लगा ।
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Good experience
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Very nice
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Very beautiful description of innocence of a child….enjoyed reading it.
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Thanks for sharing such beautiful experiences with children
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Thank you Varsha ji.
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