कभी कभी कोई व्यक्ति अपनी कर्तव्यनिष्ठा से इतना शक्तिशाली हो जाता है कि वर्षों तक संपर्क टूट जाने पर भी वो अपने व्यक्तित्व की याद दिलाता रहता है ।
ऐसा ही एक व्यक्तित्व “चौकीदार भोगीराम” का तब सामने आ खड़ा होता है जब वर्षों बीत जाने के बाद वो आज भी अपनी उपस्थिति का अहसास कराता है ।
भोगीराम जिनकी ऊँची आवाज को किसी माइक की ज़रूरत नहीं थी । सफेद मूंछों एवं भारी भरकम कद काठी वाले भोगीराम का रुतवा ऐसा था कि विद्यालय के माननीय सचिव और प्रिंसिपल सर के समकक्ष उसे भी रखा जा सकता था। अगर आज भोगीराम के चेहरे का परिचय देना चाहूँ तो यही कहूँगी कि जब भी श्री मोहन भागवतजी को देखती हूँ तो भोगीराम की याद आ जाती है।
उनदिनों विद्यालय के चौकीदारों की कोई निश्चित यूनिफार्म नहीं थी पर भोगीरामजी अपने हल्के भूरे या सिलेटी सफारी सूट पोशाक में ही दिखाई देते । अपने साथ कुछ पक्षी पिंजड़े में लाते थे । शायद बटेर थे वो पक्षी ,जिन्हें विद्यालय के खेल मैदान के किनारे लगे पेड़ों की किसी एक शाखा पर टांग देते थे वो । इंटरवल में वो बटेर छोटे बच्चों का एक मनोरंजन होते थे।
कुछ बच्चों की आदत थी कि वे विद्यालय इंटरवल समाप्त होने के बाद ही पानी पीने नल के पास लाइन लगा लेते थे लेकिन भोगीरामजी के आते ही वे छूमंतर ही जाते ।
ग्यारहवी बारहवीं क्लास के जो छात्र विद्यालय समय में घर या कोचिंग जाने की जुगाड़ में रहते उनके लिए भोगीराम एक बड़ी बाधा थी जिसको पार करना आर्कमडीज के उस वैज्ञानिक प्रयोग की सफलता के समान था जिसमें वो अपना प्रयोग सफल होते ही ‘ यूरेका ‘यूरेका’ चिल्लाया था।
मुझे याद है अपने रिटायरमेंट वाले दिन वो गले में फूलों की माला पहने छात्रों के सिर पर प्यार से हाथ रख रहे थे ।पहली बार भोगीराम जी को बच्चों से इतना घुलते मिलते देखा था ।
भोगीरामजी के सेवानिवर्ती के बाद ही विद्यालय की बाहरी दीवारें बहुत ऊंची कर दीं गईं थीं । सेकुरिटी भी बड़ा दी गई थी । विद्यालय के आंतरिक प्रवेशद्वार पर कोई दूसरा चौकीदारआ गया था फिर भी भोगीराम के जाने से एक सूनापन था । पेड़ की वो शाखा भी मौन थी जिसमें भोगीरामजी का पक्षी वाला पिंजड़ा लटका करता था । आज भी जब ‘ चौकीदार, शब्द सुनाई देता है तो अपने विद्यालय के गरिमामयी कर्तव्यनिष्ठ चौकीदार भोगीराम जी को प्रवेशद्वार में खड़ा पाती हूँ । 🙏 ✍️
Heart touching…Very deep and reminds every reader of their school chowkidar’s face….
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सरल भाषा शैली में एक ईमानदार चौकीदार का परिचय 👌
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आप एक head of the institution होने के नाते हरेक की अहमियत को समझती थी ,यह एक महानता है ।भोगी राम निश्चित ही याद करने योग्य पात्र है जिसने अपना कर्तव्य निष्ठा पूर्वक निभाया ।सजीव चित्रण किया है ।।
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Good observation of a person
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इस कहानी की मेरी सबसे पसंदीदा पंक्ति – “जब भी श्री मोहन भागवतजी को देखती हूँ तो भोगीराम की याद आ जाती है।” 😊
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☺️
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