देखो मेरा मस्त कलंदर ,🎈
मूंछें लगा के बना सिकंदर।🎩
दौड़े सरपट बाहर अंदर,
जैसे राजा कोई धुरन्धर ।👑
मैं कहती हूँ आजा बन्दर,🐒
आजा कर लें, ‘सन्धि पुरंदर’ ।
तुझे खिलाऊँ मैं चुकन्दर,🍭
दोनो मिल फिर चलें जलंधर।
देखो मेरा मस्त कलंदर🎈
मूंछें लगा के बना सिकंदर।…✍️
😊… dadi unlimited….
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बहुत बढिया
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धन्यवाद जी
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Modern dadi के दोहे सुन पोते ने आनन्द जरूर लिया होगा । अति सुन्दर वर्णन किया है ।
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Amusing dadi
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Nice poem👍
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Thank you friend.
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बहुत सुंदर वर्णन किया है… हमें इतना मजा आया तो उज्जवल को तो और भी मजा आया होगा।
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Thank you ji.
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धन्यवाद जी ।🙏
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वाह। क्या खूब लिखा है। दादी नानी के दोहों का जवाब नही।
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सराहने के लिए सहन्यवाद जी।
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सराहने के लिए शुक्रिया जी ।
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