
माँ भी कभी
लड़कियों सी रही
होगी।
बेटी छोटी सी
अपने माँ के
घर,
अल्हड़ रही होगी।
उछलती कूदती होगी।
पिता की ‘बेटा’ आवाज,
कान में गूंजती होगी।
फिर…..
“उस सुबह” से पहले,
रात में अग्नि के फेरे ,
उसे अनजान राहों पर,
कहीं
तेजी से ले जाते।
जैसे घर का इक पौधा,
कही जाकर लगा आते ।
वसीयत जिंदगी भर की ,
किसी के नाम लिख आते ।
उसे नए नाम दे जाते
कोई भाभी कोई चाची
कोई ताई भी कह जाते।
वो अग्नि के फेरे ,
जादू सा कर जाते ।
नया जन्म है तेरा
कानो में कह जाते ।…. ✍️
बिल्कुल सत्य लिखा है ।👩👼
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सहमति के लिए धन्यवाद।🙏
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Very true depiction of every mother …beautifully expressed with an awesome drawing.
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माँ का मातृत्व और निश्छल प्रेम मानों अतीत से ही सिंचित हो जाता है …. और फिर इसी पूँजी को अपनी संतानों को देकर वह आगे बढ़ जाती है।
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माँ बेटी में अपनी छाया दे जातीं हैं एक अप्रत्यक्ष अद्भुत शक्ति होती है उसमें।
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Dr. Dipti Thank you for appreciating .
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Mother is second to God. Lovely lines on mother whom we only think as house keeper.but she takes the role of mother the best.
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Thank you Reeta for relating with my pen .ऐ माँ तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी…
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Drawing is all the more beautiful
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Thank you for appreciation.
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बचपन से गुड़ियों से खेलती उसे सजाती,संवारती कब अपने बच्चों को संवारने लगी समझना मुश्किल,
माँ – बेटी फिर माँ तक का सफर! बहुत ही खूबसूरत लिखा है।
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Wonderful ! 🙂
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Thanks .🌹
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सत्य वचन
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🙏
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