
बाथरूम में फिसली जब मैं ,
“ओ माँ” कह कर जो चिल्लाई।
आँखों से बह निकले आँसू ,
फिर से माँ की याद आ गई।
अलमारी खोलूं जो अपनी,
रंग बिरंगे कपड़े देखूं ।
तरह तरह के सूट मैं देखूं।
देखी जब हेंगर में साड़ी,
फिर से माँ की याद आ गई।
टीवी खोलूं जब अपना मैं,
मन ले डोलूं ये अपना मैं।
जो मन चाहे चैनल देखूं,
न्यूज़ मैं देखूं व्यूज भी देखूं ।
पर जब आया गीत पुराना,
फिर से माँ की याद आ गई।
सुबह सवेरे जब उठ जाऊं ,
पौधों में पानी दे आऊं।
तरह तरह के पौधे देखूं ,
हरी भरी बेलों को देखूं।
देखा जब तुलसी का पौधा,
फिर से माँ की याद आ गई।
सुबह सुबह कुछ व्यस्त रहूं में।
घर कामों में मस्त रहूं मैं ।
पूजा घर का मान मैं करके,
ईश्वर का फिर ध्यान मैं करके,
बैठी जब पूजा चौकी पर,
फिर से माँ की याद आ गई।
फिर से माँ की याद आ गई ।✍️
सुदंर भवाभिव्यक्ति
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सहमति और सरगना के लिए धन्यवाद।
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बहुत सही पल है जब माँ की याद ज्यादा आती है ।भावनाओ का निरूपण बहुत सुन्दर ढंग से किया है ।
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जीते जी ये शब्द “ओ माँ” नहीं छूटता ।भावों की सहमति के लिए धन्यवाद ।
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शब्द ,’ओ माँ ‘आखिरी दम तक नही छूट ता माँ के छूट जाने के बाद भी।सहमति और सराहना के लिए धन्यवाद।
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correction सहमति और ‘सरहाना’ के लिए धन्यवाद
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correction : सहमति और ‘सरहाना’ के लिए धन्यवाद🙏
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आभार🙏
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उस मातृशक्ति को सादर नमन जो इस लोक में माँ के रूप में विद्यमान है ।
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मतुरभूमि माँ की याद दिलाती है ।गोद में वैसे ही बिठा लेती है जैसे बचपन में हमारी माँ। उसके लिए धर्मो में लोगों को बांटना उस वेदना के समान है जिसे हमारी आपकी माँ माँ कभी कभी चुपचाप सहती दिखाई देतीं थीं। एहसास के लिए धन्यवाद।
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Apni ma ko naaman
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💕🙏
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Mothers are inseparable from our heart and mind….each moment we keep remembering them in some way or the other.Your poem is truly devoted to every mother and the way we are reminded of her in every little way…we owe a lot to them….beautifully
penned.
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Thank you ji .
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My words are corelating with your feelings.Thank you doctor.
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बहुत खूबसूरत लिखा है।👌👌
जब दर्द हो तो माँ की याद आ जाती है,
जब कोई काम करें जिसे माँ किया करती थी,
माँ की याद आ जाती है।
कभी जिद्द करते अब जिद्द पूरा करते हैं,
माँ का त्याग अब भलीभांति समझते हैं।
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माँ की यादों की स्वीकृति के लिए धन्यवाद।🙏
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आज भी मां तू हमेशा दिल में रहती है।
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आखिरी सांस तक मां छूट जाए लेकिन शब्द ‘ओ माँ ‘ नहीं छूटता ।
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बेहतरीन भाई जी…हृदयस्पर्शी🌸
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Nice blog ✨
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Thanks 🌹
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Beautiful poem adorned with motherly love👌👌🌻🎆🌷💕
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She left us in her childhood but her soul is with me.
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बहुत सुंदर
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🙏💝
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बहूत ही सुन्दर प्रस्तुति
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