
नारी तन की कोमल
छुई मुई सी।
कुछ शरमाई
कुछ इठलाई
वृक्षो में लिपटी,
पुष्पलता ।
कुछ अति निर्बल
चाहत है प्रबल
मिलते ही सहारा
वृक्षों का,
चढ़ती यूँ जैसे ,
अमर लता ।✍️
नोट:दो प्रकार की लताएं एक– केवल सहारा लेती हैं।दूसरी – सहारे के साथ वृक्ष का भोजन भी शोषित कर लेतीं हैं।(dodder)
अति सुन्दर वर्णन किया है ।बिना सहारे के जीवन असम्भव होता है ।वैसे पृकृति भी। और कमजोर तो बिना सहारे के नही चल सकता ।
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Wow…beautiful description of Amarlata!!
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और कुछ नारियां छुई मुई कोमल होती तो कठोर भी दृढ इच्छा शक्ति की जिसे रावण जैसे को भी डिगाना मुश्किल|
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सत्य कहा आपने।
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Beautiful 🌸
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lovely
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Thanks dear .
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Anytime 😊
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Thanks.🌹
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Bahut hi khoobsurat likha aapne .
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अमरलता रूपी नारी अति कोमल और नाज़ुक अति सुंदर कल्पना।
आज अमरलता एक सक्षम वृक्ष का रूप ले चुकी है।
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वास्तव में कविता में दो कमजोर लताएं ली है। एक सहारा लेकर स्वयं का भोजन बनाने में सक्षम है दूसरी सहारा जिसका लेती है उसी का भोजन भी शोषित करती है।वो Darwin की theory के according struggle for existence and survival of the fittest को verify करती है लेकिन कवि इनकी कल्पना तुलनात्मक करता है । वो अपने भावों में जिस वृक्ष ने सहारा दिया उसी को सुखा देने का दर्द महसूस करती है ।
आपने रचना पढ़ी इसके लिए आभार आगे आ प्रतिक्रिया देते रहिए ।ये लिखने की प्रेरणा देता रहेगा ।
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Nice blog 💜
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Thank you ji.
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My pleasure, followed you
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Thank you ji.Its your highness.🙏
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🧡💛💚
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बहोत बढ़िया👌👌👏👏👍
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आभार।
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So beautiful ….हमने वटवृक्ष लिखा था कुछ दिन पहले …..अमरलता पढ़ कर खुशी हुई …तुलसी की चेतना जागी थोड़ी मन मे😊😊
बढ़िया दोस्त
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बहुत सुंदर लिखते हैं आप।
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आप सभी से सीख रहा मित्र बस …🌼
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🤔😊
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Mann, behne laga
Padhte huee…
Behad he achhe tarike se shabdou ko piroya gya hai.
👍
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धन्यवाद प्रकाश जी।
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😁
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धन्यवाद खरे साहब।🙏
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🤩
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😊
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Tara, you pen so eloquently… as if the words were passing clouds. Absolutely beautiful.
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😊thanks to you one of the great and impressive personality of Word press.🎉🙏
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Thank you, Tara… very thoughtful of you. Blessings.
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अमरलता पर कितने ही साहित्यकारों ने कविताएँ रची है। अच्छा प्रयास है |
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Thank you dear Lokesh.
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