दुख पहाड़ के पत्थर सा है
सर पर गिरता है।
ज्यूँ संगमरमर की
सीढ़ी पर
पैर फिसालता है।
सुख फूलों की बारिश सा है।
देवों का एहसास ।
तन मन प्रफ्फुलित कर देता,
छू लेता है आकाश।
अपनों का अपनत्व रहे जब
अपने आस पास ।
दुख भी तन्हा नही रहे,
वो रखता है इक आस।
जीवन झरना है अनुभव का,
बहता ही रहता है।
इंद्रधनुष के रंग लिए
धुन अपनी कहता है।
कभी बना "बच्चन- मधुशाला
कभी "अश्रु" नीरज के बन,
आँखों में रहता है। ✍️
बहुत खूब।👍👍🙏
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thanks for liking.
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Shukriya.
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Pleasure Is Mine 🙏🙏🤠
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💕🤗
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Well said…a wonderful poetry!
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Thank you dear Dipti.No message of blog from your side.
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खूबसूरत रचना
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शुक्रिया नवनीत कुमार।☺️
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🍧💐🍭🍨🍫😁
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शुक्रिया नवनीत।
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💐🍧🍭🍨🍫🍺😀
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दुख का होना खुशी के पलों को और अधिक खास बना देता है
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धन्यवाद नितेश मोहन सच कहा आपने।🎉🎉🎉
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काली काली रात का सवेरा लाल -लाल ।
कविता में अनुभूति बहुत गहन है ।
संगमरमर में पैर फिसलना ऑफ़।
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काली काली रात का सवेरा लाल -लाल ।
कविता में अनुभूति बहुत गहन है ।
संगमरमर में पैर फिसलना ऑफ़।
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😃तब आप ही ने संभाला था। आभार।
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अपनों का अपनत्व रहे जब ।
कोटि-कोटि प्रणाम ।
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सराहना के लिए बहुत बहुत स्नेह एवं शुक्रिया।💕
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जीवन अनुभव का झरना है,
बहता रहता है
इंद्रधनुषी रंग के लिए। सुंदर विचार..
मुझे यह लाइनें पसंद आईं ।।🌸
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आपके १-२ ब्लॉग पढ़े। बहुत अच्छा लिखती हैं
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My sincere thanks to you .🙏
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🙏
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Wonderful depiction of happiness and sorrow.
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Thanks dear Deepti.
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