
जबसे मन्त्री को
चमचों पर ,
विश्वास हुआ है।
तबसे ही बस
राजनीति का
ह्वास हुआ है।
चमचों से पहले
इनके सब थे अपने।
उनके आने पर ही
“तू-तू, मैं-मैं”
आभास हुआ है।
ढाई अक्षर प्रेम का
पहले साज
हुआ करता था ।
अब तो,
कड़वे बोलों से
सब नासाज़ हुआ है।
ये मजदूर हैं
कारीगर हैं।
ये भक्त कहां
बन पाएंगे।
ये तो रोटी की
जुगाड़ में
जीवन ज्योति
जलाएंगे।
मंत्री जी की
नाक कहाँ
और इनकी
कहां दुआ है ।
जबसे मंत्री को
चमचों पर
विश्वास हुआ है
तबसे ही मंत्री पर
विष का
वास हुआ है।✍️
बहुत खूब 👌
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🤗
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Superb writing 👍👍👍. Well said😁😁
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Sincere thanks for your appreciation.
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You are always welcome 🤗😇♥️🌸🧚♀️
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😊🌷
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जबरदस्त लिखा है
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Thanks Aditya Mishra.
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Sahi soch hay
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😄
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