
मत बनाओ सीता बेटी को
अग्नि परीक्षा कब तक देगी ?
कब तक दुख भुगतेगी ?
राम तो राज्य करेंगे फिर से,
वो धरती रुख करेगी ?
ना ना ना ना….
उसको भी पतलून पहन कर
सैनिक एक बनाओ ।
चारों ओर घिरे जो रावण
मनमानी करते हैं।
उनको अग्नि देनी हो गर तो
ज्वाला इसे थमाओ।✍️
मत बनाओ सीता बेटी को
अग्नि परीक्षा कब तक देगी ?
कब तक दुख भुगतेगी ?
राम तो राज्य करेंगे फिर से,
वो धरती रुख करेगी ?
ना ना ना ना….
उसको भी पतलून पहन कर
सैनिक एक बनाओ ।
चारों ओर घिरे जो रावण
मनमानी करते हैं।
उनको अग्नि देनी हो गर तो
ज्वाला इसे थमाओ।✍️
सुंदर कविता ….आज के परिदृश्य में
मेरी कविता की एक दो पंक्ति याद आ गई
मेरी बेटी
मैं तुझे सदा परियों की ही कहानियां सुनाना चाहता था
पर समय की मांग है
मैं तुझे अब प्रेत कहानियां भी सुनाऊं ❤
LikeLiked by 4 people
सच में फूल सी बेटियों ने क्या नहीं सहा इसीलिए किसी दुखी पिता ने बेटी को काली मां के रूप में चित्रित किया होगा।साहित्य समाज का दर्पण रहा है।हमारे भारतीय समाज में कन्या को वस्तु समझ कर ही कन्या दान की प्रथा भी चली होगी । धर्म कोई भी रहा हो नारी को पर्दे में रखा चाहे घूंघट हो याबुर्का ।
LikeLiked by 2 people
Interesting thought Taraji 💕👏
LikeLiked by 1 person
Thank you Ashok ji .🌹
LikeLiked by 2 people
My pleasure Mrs. Pant 😊🌹
LikeLike
अति सुन्दर कविता लिखी है ।रावण की महानता भी उतनी ही है ।वह भी होना जरूरी होगा।
LikeLiked by 2 people
Aisa he hona chahiye 👍
LikeLiked by 1 person
👍💖
LikeLike
Well said….girls must be made strong to face all obstacles in life.
LikeLiked by 2 people
Well said 👍😊
LikeLiked by 1 person
Thanks Samreen.🙏
LikeLike
घर घर बैठी सीता आज है
दे रही परीक्षा यहा
को बचाएगा उनको
नही जन्मी दुर्गा है यहा।।
नारी पीड़ा नारी समझे
ना समझे कोई पुरुष यहा
जाग्रत नारी को ही होना पड़ेगा
पुरुष नारी बाद ही आए यहा।।
LikeLiked by 1 person
Bahut sundar kavita likhi hai aap ne. Lekin ye samsya ka hal nahi hai. Mujhe kuch vichar aaya hai is kavita ko padh kar. Main jaldi hi share karunga aap se.
LikeLiked by 1 person