○न जाने कुछ वर्षों से है,
कौन सा ग्रह यह आया ।
हिन्दू मुस्लिम करके उसने,
जनता को भरमाया।
कुछ अपनी ही कंपनियों का, पड़ा है उस पर साया।
देश को ना बिकने दूंगा,
था नारा एक लगाता ,
पर एक एक करके था ,
सब कुछ बिकता जाता।
अबकी बार गले की फाँस
बन गए अन्न दाता ।⛏️
जिनको अब तो ना उगला
और ना ही निगला जाता ।
जय जवान और जय किसान का जोश था फिर सेआया ।
वो ग्रह अबकी बार दिखा है
थोड़ा सा घबराया ।
कुछ वर्षों से पिला रहा है,
हिन्दू मुस्लिम हाला ।
जलियां वाले बाग़ के लोगों से
अब पड़ा है पाला।
हर पंजाबी भगत सिंह , पंजाबन शेरा-वाली,
पूरी जनता भी संग में है
हरियाणी-बंगाली।
पंजाब ने समझाई है,
संविधान की सतह।
वाह वाह गुरु दा खालसा
वाह वाह गुरु दी फतेह।✍️
😂😂😂😂😂😂
यहीं की मिट्टी में उपजा है वो और यहीं ख़ाक होगा।
भीड़ खड़ी करके डुगडुगी बजाने से क्या होगा।🙏🙏🙏🙏
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लाज़वाब वर्णन आज के हालात पर , ताराजी 😀
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शुक्रिया जी ।🌹
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स्वस्थ रहें ख़ुश रहें : मेरी शुभकामनाएँ 🌹
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शुक्रिया शुक्रिया 🌹
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वाह गुरु
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🙏
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सुंदर
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