भाव तुम्हारे पाकर पहुंची
इस दुनिया के पार।
जहां तुम्हारी गरिमा थी
और आनंद था अपार।
ये छोटे छोटे से सुख,
सच में क्या कर जाते
दुनिया के सारे दुख मानो
छू मंतर ही जाते ।
इन भावों में सच मानो तुम
ईश्वर का सुख पाती हूँ।
मन्दिर के घण्टों की गूंज में,
नतमस्तक हो जाती हूँ।✍️
बहुत सुंदर
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आभार।🙂
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बहुत ही प्यारी 👌🏼ह्रदय को छू लेने वाली रचना 👏😊
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आभार ।🌹
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मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हा
ला। बच्चन जी की कविता याद हो आई ।
आपने भावों में सुख की अनुभूति की है ।अति सुन्दर रचना है ।
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🙏🙏🙏🙏🙏
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Sukh swath say aata hay
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💖👍🌹
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बहुत सुंदर रचना
शुभ संध्या मित्र
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धन्यवाद रानी जी आपने सराहा।💖🌹
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अति सुंदर एवं भावपूर्ण अभिव्यक्ति !सदैव प्रसन्न एवम सुरक्षित रहें 😀
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🌹
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Bahut khoob. God alone 🙏
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