सेवा भाव संग
कर्त्तव्य लिए,
रहता संग भय भी,
करता था, अतृप्त
अब छोड़ चला
हो गया हूँ तृप्त।
‘आशा’ की चिंता
सेवा में,
मैं मग्न रहा
होकर निर्विघ्न।
आशा ही तो
जीवन थी मेरा
पर आज मुझे तो
जाना है।
अब मृत्यु-शांति
संगिनी है मेरी
उसका भी साथ
निभाना है। ✍️
सेवा भाव संग
कर्त्तव्य लिए,
रहता संग भय भी,
करता था, अतृप्त
अब छोड़ चला
हो गया हूँ तृप्त।
‘आशा’ की चिंता
सेवा में,
मैं मग्न रहा
होकर निर्विघ्न।
आशा ही तो
जीवन थी मेरा
पर आज मुझे तो
जाना है।
अब मृत्यु-शांति
संगिनी है मेरी
उसका भी साथ
निभाना है। ✍️
बहुत गहरा भावपूर्ण अभिव्यक्ति ✍️
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शुक्रिया अनुराग।
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आशा निराशा बीच झूलती एक अद्भुद एवम भावपूर्ण अभिव्यक्ति! शानदार प्रस्तुति, ताराजी 💛
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नूतन वर्ष की शुभ कामनाएं।🌞🌹
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धन्यवाद! आप सबको भी नूतन वर्ष की शुभकामनाएँ 😃🙏
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भावनाओं का सुंदर लेखन 👌🏼👌🏼
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🙏🏻
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वाॅह खुब
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नव वर्ष शुभ हो ।चित्रा जी।💖🌞
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धन्यवाद जी, नव वर्ष शुभ मंगलमय हो आपका
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अद्भुत
बहुत सुन्दर रचना
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🌹
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भावपूर्ण लेखन। उम्दा।👌👌
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आभार।🌹
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सुन्दर भावाभिव्यक्ति👌
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