नेता कितना हठी हठी सा
हठ इसका कब जाएगा…
इन सर्द ठण्डी सड़कों में
क्या किसान मर जाएगा..
है कितनी रातें ये सर्द ,
जब बादल गरजा करते हैं।
निष्ठुर पापी दुश्मन से वो ,
जम के बरसा करते हैं।
सड़कों पे देखो नदियां सी,
कितनीं हैं बह जातीं।
हाय लहर उन नदियों की,
उसकी चादर तक आतीं ।
तब नेता ब्लोअर में
मदमस्त नींद सोता है।
भक्तों का विश्वास लिए वो
मन की बात कहता है।
इक किसान के अश्रुओं ने
ऐसी क्रांति मचाई…
हर इक बूंद अश्रु की उसकी
बन नदी, गाँव तक आई ।
हर कोई उस जल से सिंचित
उस ओर चला आया था।
जिस ओर, उस भूमि पुत्र को,
नेता ने बहुत रुलाया था।
दिखा किसानी-धर्म वहां बस
और न कोई धर्म दिखे।
संविधान की शक्ति दिखे
और अश्रु की भक्ति दिखे।
जर जोरू जमीन का झगड़ा
नेता अब न दिखाओ तुम।
जिनसे महाभारत युद्ध छिड़ा
न जिद्द वैसी अपनाओ तुम।
‘जयश्री राम’ चिल्ला चिल्ला कर
भारत को मत तोलो ।
सब धर्मों का करो मान फिर
भूमि-पुत्र संग ,बैठ के तुम भी सत वाहे गुरु,असलम अलैकुम,
‘जय सिया राम जी’ बोलो । ️✍️
कुलक को किसान कह गया
हां वही था जो देवता को शैतान कह गया
कायरों का यही श्राप हमको मार गया
भारत अपने घर में ही हार गया ।
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जाकी रही भावना जैसी,प्रभु मूरत देखी तजन तैसी।🌾🙏
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*तिन तैसी।
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😂😂😂😂😂👍
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Aptly written!!
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जब पहली बार किताब को खोला और पढ़ा गया … पहली लाईन पर लिखा था— भारत कृषि प्रधान देश है । भारतभूमि खेती के जरिए यहाँ के लोगों को आजीविका प्रदान करती है । फसल चक्र के विभिन्न चरण, महीनों की पहचान बन गए | इस देश को नमन है, यहाँ के किसानों को नमन है |🙏
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सच कहा आपने।🌹🌾⛏️🚜🌾🌾🙏
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आप क्यों और कैसे लिखती है?
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बस यूँ ही ।🤗
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बड़ा प्यारा कारण है – बस यूँ ही l ऐसे ही अपने को निखारते रहिए |
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Yatartha ka chitran karti kavita.
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🌹
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