जब भावों के पुष्प लिए,
मैं पहुँची उनके पास।
छप जाएगी कविता मेरी,
मन में थी यह आस।
पर जिस कविता में लग
सिर्फ मेरी अकल
उनको लगी वो किसी
कवि की नकल।
हिंदी की थी वो एक ज्ञाता
उन्हें भला था कब यह भाता।
बोलीं, ये नकल वकल नहीं चलेगी
विज्ञान की छात्रा भी क्या कवि बनेगी।✍️
😔😔😔
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🤗🌹
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वाह! बहुत खूब लिखा है👌🏼 आपने तारा दीदी 👏👏😊🌷
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दिल से आभार प्रिय अनिता।🌹
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वाह 👌🙂
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🌹🙏
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तारा जी, आपकी पहली ही कविता पढी, और दिल को छु गई । कवि हृदय होना एक बड़ी उपलब्धि है | हम मानव है हम में संवेदना है | एक कवि संवेदनशील होता है, अपने आस पास के लोगों को देखकर उसका दु :ख उभर कर आता है । बहुत-बहुत धन्यवाद ।❤️
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