जब साथ न दे ये तन,
घबराए मन,
ध्यान लगा उसका
और बैठ संग आनंद के ।
जब दिल टूटे,
कोई अपना छूटे,
अपने से ही
हो जाए अन-बन ।
तब मन में रमा उसको
और बैठ संग आनंद के।
जब यादों के बादल छाएँ,
बीते हुए क्षण से,
मिल ना पाएं।
तब यादों का संग्रह कर
और बैठ संग आनंद के।
जब घर के आँगन,
खुशियां आएं ।
नित दिन को ही सब ,
पर्व मनाएं।
तब पुण्यागिरी के दर्शन कर
और बैठ संग आनंद के।
आनंद में सेवा भाव भरा,
आनंद से ही तो सब हरा भरा।
अनगिनत आशीष संग लिए,
मंदिर में तू इक घण्टी बजा
और बैठ संग आनंद के।✍️
एक समृद्ध संरचना जो बहुत सार्थक और आश्वस्त करने वाली है।💞
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🌷🙏
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