
आज कृष्ण जन्माष्टमी है । घर में जन्माष्टमी की खूब सजावट और भक्तिमय धूम रहती । रात को मेहंदी भी लगाई जाती । शायद यहां भी नाम का असर था , चक्रधर और राधा ,हमारी मां और पिताजी का नाम । 🙏लगता है घर के एक शांत व्यक्तिव का नाम भी , कृष्ण के नाम से जुड़ता है और वो थे हमारे लालू कक्का (सबसे छोटे चाचा ) । लालू कक्का ।ललित मोहन पांडे ।जब कभी ‘अहम’ भ्रमित करता है तो लालू कक्का की याद आती है । बिल्कुल सीधा साधा व्यक्तित्व । इतने सीधे कि विश्वास नही होता। हर समय मुस्कुराते रहना । भातखण्डे संगीत विश्वविद्यालय से संगीत प्शिक्षण लिया था लालू कक्का ने बांसुरी बजाने का शौक ऐसा कि जहां भी जाते उनकी साईकल के थैले में बाँसुरी अवश्य होती । हम नजरबाग में लालू कक्का के घर में आते ही कहते कक्का बांसुरी बजाइए लालू कक्का बांसुरी की धुन में मग्न हो जाया करते । हम भूल जाते कि कक्का निशातगंज से नजरबाग साईकल से आकर थकते भी होंगे ।अक्सर घर आते ही भाभी कहां हैं पूछते माँ के पैर छूते और जमीन में बिछी दरी में बैठ जाते ।कक्का की बांसुरी की आवाज न जाने क्यों जन्माष्टमी में सुनाई देती है । सोचती हूँ कृष्ण की बांसुरी का सम्बंध हमारे सीधे – सादे लालू कक्का की बांसुरी की धुन से अवश्य रहा होगा । न गीता के किसी उपदेश की आवश्यकता बस एक बाँसुरी और उसकी सम्मोहित करने वाली आवाज़। कितना कठिन कार्य है आदमी का सरल होना ।उन्हें शत शत नमन। 🙏
सभी की जन्माष्टमी की धुन और धूम की शुभकामनाएं एवं बधाई । 🎉🎉🎉✍️
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