
कभी कभी दुख सुख पर कितना हावी हो जाता है।सवेरे सवेरे शकरपारे बनाए मकर संक्रांति के लिए।
कुछ देर पहले ही ndtv के reporter कमाल खान जी के अचानक निधन की दुखद खबर सुनी । त्योहार एक ओर रह गया है ।
बहुत बुरा लग रहा है। कितना अपनत्व था उनकी आवाज में । लखनऊ की गरिमामयी विनम्र भाषा के symbol थे कमाल खान जी । घर का एक सदस्य बन गए थे वो । 🙏
So sad! He had a unique style of reporting. May his soul rest in peace!
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Will always be remembered.🙏
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😪😪
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सच में उस दिन हम भी चाय पीने बैठे ही थे कि न्यूज़ लगा ली मेरे हसबैंड ने और कमाल खान नहीं रहे फिर तो चाय का ज़ायक़ा ही चला गया।
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कुछ आत्मीय रिश्ते बना कर जाते हैं ।🌹🙏
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RIP Kamaal Khan…
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आज भी उनकी कमी खलती है।
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