काफिर हो या तू मोमिन
एक दिन तो जाएगा।
एक जाए अग्नि रथ में,
दूजा जमीं में समाएगा ।
फूलेगा फूंकना तब तक
जब तक हवा है तुझमें
बाद में तो आत्मा या रूह कहलाएगा।
पानी को ‘आब’ कह ले
या आब को तू पानी
प्यासे से कुछ भी बोल,
वो तो प्यास अपनी,
इसी से बुझाएगा।
कहले खुदा तू उसको
या कहले तू उसको ईश,
अपनी मति से वो तो,
तुझको नचाएगा।
मस्ज़िद में बांघ दे तू
या मन में शिवालय
खोल।
”आबिद’हो या हो भक्ति
नशा इक सा छाएगा।
इस नशे में तू
जरा झूम के तो देख
उपरवाला तुझको
इक सा नज़र आएगा।✍️
सही फरमाया है।
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कटुसत्य
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Thanks santable for visiting my blog.🌹
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ईश्वर अल्लाह तेरो नाम सबको सन्मति दे भगवान।
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Thank you bBeena for visifing my blog.🌹
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बहोत खूब….हर एक को मन के नज़र से देखना चाहिए।😍
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🌹
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