
कितना सुंदर देश ये मेरा।
कितना खूब था यहाँ सवेरा ।
कहीं अज़ान, कहीं भजन थे ।
कहीं चर्च की थी घण्टा ध्वनि,
कहीं पे भक्ति की थी धूनी ।
देश में था इक भाई चारा,
गाँधी विचार की बहती धारा।
जब भी दुश्मन ने ललकारा,
सबने मिलकर उसे नकारा।
देश में था मिलजुल कर पहरा,
रिश्ता था आपस में गहरा।
क्या देश नहीं था अपना न्यारा ?
जब भी जो सत्ता में बैठा,
ना जाने क्यों रहता ऐंठा।
पहने जो शक्ति का ताज,
बहुत इन्हें अपने पर नाज़।
कुछ की बुद्धि है भरमाई,
घर में अपने आग लगा कर,
खूब बजाते ताली भाई।
सत्ता को पाने के खातिर,
कैसे खेल करें ये शातिर ।
आपस में जनता लड़वाएं ।
वर्षों से उन को भिड़वाएं।
देश में अराजकता है आई।
फिर भी समझें क्यों नहीं भाई?
क्या देश नहीं तुमको ये प्यारा ?
क्यों करते इसका बंटवारा ?
भारत माँ भावों का बंधन,
क्यों हो कुछ लोगों का क्रंदन?
बाबा हरभजन की आत्मा
अब भी देश में देती पहरा।
अब्दुल हमीद के देश प्रेम ने
पाक के नौ टैंकों को घेरा।
ये देश प्रेम तुम्हें है नहीं गवारा
क्या देश नहीं तुमको ये प्यारा ?
क्यों करते इसका बंटवारा ?
जब रोटी से मैसेज जाते थे।
हिदू मुस्लिम सिख ईसाई
आपस में सब मिल जाते थे।
दुश्मन से जा टकराते थे ।
आज ये कैसा है दिन आया।
एक दूजे को नीचा करने
Fake एक campaign चलाया।
देश को इन संग मिल तोड़ोगे
माँ को कहीं क़ा न छोड़ोगे ।
क्या माँ से नहीं है प्यार तुम्हारा ?
अब स्वयं सोचो तुम भाई,
अपना सर खुद ही मुड़वा कर,
तुम खुद के बन बैठे नाई।✍️
Well composed lines!
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Thanks a lot for your appreciation.🙏
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बहुत सुंदर
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🎉🌹
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बहुत-बहुत धन्यवाद🌻🌻
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