“दुख” पहाड़ के पत्थर सा है, सर पर गिरता है ,ज्यूँ संगमरमर की सीड़ी में पैर फिसलाता है। अपनों का अपनत्व रहे जब अपने आस पास ,दुख भी तन्हा नही रहा, वो हँस कर कहता है। जीवन झरना है भावों का बहता ही रहता है। इंद्रधनुष के रंग लिए धुन अपनी गाता है। कभी बनाContinue reading “समय”
Author Archives: (Mrs.)Tara Pant
मन मंदिर
मन के मंदिर में थोड़ा टहल,मन के बाहर तो भव्य महल। मन- मंदिर में दीपक सा है तू ,भव्य महल तो चहल पहल। हनुमान के सीने में , राम सिया, क्यों इत उत डोले पागल-पिया । थोड़ा तू ठहर जीवन की पहर सन्ध्या में बदलने वाली है…….। फिर राम अली दिखते संग संग, रमजान होContinue reading “मन मंदिर”
“मर्म उसका”
आदत सी बन गयी थी रात जब नींद नहीं आती तब मोबाइल में अपनो के बदले गए profile स्टेटस देखती । उनकी बेटी ने फिर अपनी प्रोफाइल में अपने पापा की तीन पिक्स डाल दी थीं और लिखा था पापा अगले जन्म में भी आप ही मेरे पापा होंगे। मैं उसके पापा की pics बारContinue reading ““मर्म उसका””
The Journey Begins
Thanks for joining me! Good company in a journey makes the way seem shorter. — Izaak Walton