मन तू मौन नहीं रहता है ।
कितना भी चाहूँ मैं,
तू अपनी ही कहता है ।
इधर उधर डोले है,
जो मन आये बोले है ।
औरों की भी, तो … सुन ।
तू क्यों नहीं सुनता है ?
मन तू मौन नहीं रहता हैं ?
कुछ ठान लिए बैठा है ।
कुछ मान लिए बैठा है ।
इतनी भी मनमानी कैसी ? जो…
इक तरफा तेरी धुन,
क्यों सबको तू धुनता है ?
गुण औरों के भी तो गा …
बस अपनी कही सुनता है ?
मन तू मौन नहीं रहता है ।
कितना भी चाहे
तू क्यों नहीं सुनता है ….
मन तू मौन नही रहता है …। ✍️